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राजनीति और समाज के अनछुए पहलुओं को उजागर करती अतुल मलिकराम की पांच किताबें

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इंदौर : राजनीति, समाज, संस्कृति, शिक्षा, प्रेरणा, व्यवसाय और सतत विकास लक्ष्यों पर आधारित लेखक और राजनीतिक रणनीतिकार अतुल मलिकराम की पांच पुस्तकों – ‘दिल से’, ‘गल्लां दिल दी’, ‘दिल विल’, ‘दिल-दश्त’, और ‘कसक दिल की’ का गुरुवार को इंदौर में विमोचन किया गया। इस अवसर पर विभिन्न मीडिया चैनलों, साहित्यकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

इन पुस्तकों में अतुल ने अपने व्यक्तिगत और सामाजिक अनुभवों को रोचक लेखों के माध्यम से प्रस्तुत किया है। यह सीरीज न केवल वर्तमान समस्याओं पर प्रकाश डालती है, बल्कि भविष्य के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत करती है। ये सभी पुस्तकें ऑनलाइन स्टोर्स पर उपलब्ध हैं।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए अतुल मलिकराम ने कहा, “इन किताबों का उद्देश्य लोगों को उन विषयों की ओर आकर्षित करना है, जिन पर हम चाह कर भी ध्यान नहीं दे पाते। सभी किताबों में ‘दिल’ शब्द एक कॉमन थ्रेड के रूप में है, और इनमें चयनित विषय मेरे दिल की उस आवाज़ को अभिव्यक्त करते हैं, जिसे मैंने एक साधारण व्यक्ति से लेकर विशिष्ट व्यक्तित्व के रूप में अनुभव किया है।

उन्होंने समाज में विभिन्न मुद्दों, जैसे कैदी और अपराधी के बीच अंतर, भारतीय संस्कृति की विशेषताएं, किताबें पढ़ने की घटती आदत, और मित्रता की बदलती परिभाषा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इन किताबों के माध्यम से राजनीति, धर्म, इंसानियत, मोहब्बत, व्यापार, और व्यवहार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर करने का प्रयास किया है, जो समाज को जागरूक बनने और स्वयं को पुनः खोजने के लिए प्रेरित करते हैं।

  • ‘गल्लां दिल दी’: इसमें सतत विकास लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिसमें गरीबी, भुखमरी, लैंगिक समानता और अशिक्षा जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया है।

  • ‘दिल से’: इसमें एकतरफा प्यार, पथप्रदर्शक की भूमिका, प्रदूषण और गरीबी जैसे सामाजिक मुद्दों के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और प्रेरणा से जुड़े लेख शामिल हैं।

  • ‘दिल विल’: इसमें मध्य प्रदेश में तीसरे दल की भूमिका, एससी-एसटी मतों की रणनीति, जेल में तैयार होते अपराधी, और छोटे राज्यों के गठन जैसे राजनीतिक विषयों को उठाया गया है।

  • ‘दिल दश्त’: इसमें घुमन्तु जनजातियों, महिला कैदियों की दुर्दशा, और भारतीय संस्कृति में नाइट कल्चर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को शामिल किया गया है।

  • ‘कसक दिल की’: इसमें डिजिटल युवाओं, 2030 को ध्यान में रखते हुए तीन राज्यों के मुख्यमंत्री, और शादी-विवाह जैसे सामाजिक और राजनीतिक विषयों को शामिल किया गया है।

अतुल मलिकराम की समाज सेवा और उपलब्धियां:

अतुल मलिकराम, जो देश के पहले और एकमात्र एंगर मैनेजमेंट कैफे ‘भड़ास’ के संस्थापक हैं, इंदौर में तीन डे केयर सेंटर्स का संचालन भी कर रहे हैं। उनकी सामाजिक संस्था ‘बीइंग रिस्पॉन्सिबल’ के माध्यम से वे बेजुबान पक्षियों के लिए दाना पानी, जरूरतमंदों के लिए ‘नंगेपांव’, और स्ट्रीट वेंडर्स के लिए ‘मेरा नाम मेरी पहचान’ जैसे अभियान भी चला रहे हैं।

‘गल्लां दिल दी’ किताब में सतत विकास लक्ष्यों को समर्पित खंड भी शामिल किया गया है, जिसमें देश की गरीबी, भुखमरी, लैंगिक समानता व अशिक्षा जैसे विषय प्रमुखता से देखने को मिलते हैं। इसके अलावा रोम रोम में राम, शब्दों के पीछे के शब्द, गरीबी और सफलता, मन की बिमारी जैसे गंभीर विषयों को शिक्षा और प्रेरणा खंड में देखा जा सकता है।

वहीं ‘दिल से’ किताब में एकतरफा प्यार का अधिकार, पथप्रदर्शक की भूमिका, पांच रंगो से सुशोभित तिरंगा, प्रदुषण और गरीबी, इंसान और इंसानियत, जैसे सामाजिक पहलुओं के साथ-साथ ऑनलाइन फ़ूड डेलिवरी की संस्कृति, इन्दोरी बनने की कला जैसे सांस्कृतिक पहलुओं को कवर करने का प्रयास किया गया है। इसके अतिरिक्त संयम और मेहनत से जुड़ा भाग्य, शब्दों से सफलता जैसे प्रेरक लेख भी देखने को मिलते हैं। वहीं यह किताब मदद के आगे माया का मोल, देव काल से चला आ रहा पब्लिक रिलेशन, पीआर प्रैक्टिसनर्स के लिए मदर टेरेसा की 7 बातें जैसे व्यावसायिक गुण भी सिखाती है।

किताब ‘दिल विल’ में मध्य प्रदेश में तीसरे दल की भूमिका, एससी-एसटी मतों को साधने की रणनीति, चुनावों पर होने वाले बेलगाम खर्च, जेल में तैयार होते अपराधी, पृथक बुंदेलखंड की मांग और छोटे राज्यों के गठन में कैसी बुराई जैसे राजनीतिक विषय शामिल हैं। इसके अलावा शिक्षित होने के सही मायने, समाज का आधार शिक्षित महिलाएं, आगे पाठ-पीछे सपाट, ऑनलाइन शिक्षा, खरगोश-कछुए की कहानी के बाद की कहानी, 5वीं और 8वीं में बोर्ड परीक्षाएं जैसी शिक्षा और प्रेरणा से भरे लेख भी देखे जा सकते हैं। एक मानसिक बिमारी बलात्कार, दो वक्त की रोटी, काला अक्षर इंसान बराबर और दान केवल पैसे वालों का काम नहीं जैसे रोचक लेख समाज और संस्कृति खंड में देखने को मिलते हैं।

‘दिल दश्त’ किताब अपने नाम के अनुरूप विलुप्त होती घुमन्तु जनजातियां, महिला कैदियों की दुर्दशा, भारतीय संस्कृति में नाईट कल्चर जैसे महत्वपूर्ण राजनितिक व सामाजिक मुद्दों को समेटी हुई है। इसके अतिरिक्त इस किताब में दक्षिण और उत्तर भारतीयों के बीच शिक्षा में असमानता, गुरुओं के महत्व, चाँद पर भारत की पहुंच, स्वयं की खोज, टमाटर से सीख, माँ का पीआर एक्सपर्ट किरदार जैसे प्रेरक और व्यावसायिक लेख भी पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

जबकि ‘कसक दिल की’ किताब डिजिटल युवा, 2030 को केंद्र में रखकर तीन राज्यों के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार का राजनीतिक चरित्र जैसे महत्वपूर्ण राजनीतिक विषयों के साथ-साथ युवा पीढ़ी और शादी-विवाह का चंगुल, शिकायत खुद से, अच्छी परवरिश पर पैसा भारी, गुरु बनने का गुरुर, वास्तविकता या भ्रम देश की सशक्त महिला, नारा नहीं हैं राम, संस्कार ही पहचान, कल हो न हो जैसे सामाजिक और सांस्कृतिक विषय नजर आते हैं।

यह किताब शिक्षा और प्रेरणा खंड में हमें कलम की टीस, जादू की पाठशाला, न वो गलत न हम, शिक्षा प्रणाली में सेक्स एजुकेशन का स्थान, सोने की चिड़ियाँ के प्राण जैसे महत्वपूर्ण विषय देखने को मिलते हैं। इसके अलावा, कब और क्यों पीआर एजेंसी की जरुरत, कर्मचारियों से चलती कंपनियां, कॉर्पोरेट में शिव, विष्णु और पार्वती जैसा व्यक्तित्व, रीजनल पीआर के पिलर्स जैसे व्यावसायिक विषयों को भी कवर किया गया है।

सामाजिक परिवर्तन में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें प्रतिष्ठित गॉडफ्रे फिलिप्स रेड एंड वाइट गोल्ड अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। अतुल मलिकराम की किताबें साहित्य जगत में पहले ही सराही जा चुकी हैं, और उम्मीद है कि ये पाठकों के बीच भी अत्यधिक लोकप्रिय होंगी।

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