World Sparrow Day 2024 : विश्व गोरैया दिवस , शहरों में नहीं दिख रही गोरैया, क्या है उपाय ?

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World Sparrow Day 2024 : जब भी हम चिड़ियों की बात करते है तो हमारे दिमाग में गोरैया और उससे जुडी बचपन की यादें जरूर आती है , उसका यू चहचहाना, मिट्टी में उछल कूद करना , घोसला बनाना , पर आज कल ये सब देखने को नहीं मिलता और इस भाग दौड़ भरी लाइफ में इन सब चीजों पर हमारा ध्यान कम ही जाता है।

World Sparrow Day 2024

गौरैया की चहचहाहट, मिलने को मिलती है बहुत साथ, उसकी छोटी सी आवाज, सुन कर दिल हो जाता खुशियों का साथ।
चिड़िया की उड़ान, अद्भुत है और प्यारी, जैसे संगीत हो जो हमारे सुनहरे सपनों की खानी।
पेड़ों की शाखाओं पर बनाती वह अपना घर, चिड़िया की शान, हैरान कर देती हर किसी को बेशकार।
सदा मुस्काती है गौरैया, न जाने वह क्यों, हर पल अपने सौंदर्य में वह खो जाती है ख्वाबों की धरा में लहराती हवा के संग।
गौरैया के बिना प्रकृति की चाँदनी अधूरी है, उसकी मिठास में है सारा जीवन की रूँधद्धार।
गौरैया, तू है एक अनमोल मस्तिष्क की गुणवत्ता, तेरी उपस्थिति से होता है यह जगमग सा सुंदरता।
चलो, हम सभी मिलकर इस गौरैया की महिमा को गायें, उसकी खूबसूरती को सजाएं, और उसके संग खुशियों की गाथा गाएं।

आइये हम मिलकर अपने पर्यावरण और गोरैया दोनों को बचाए :-

यदि गौरैया को अनुकूल वातावरण मिले तो वे अपना परिवार बढ़ाती हैं। कच्ची भूमि पर उगने वाली घास के बीज, उभरते हुए कीड़े आदि इनका भोजन हैं। अगर हम अपने घरों में ऐसा माहौल बनाएं तो वे वहां भी आ सकते हैं।’

छोटे-छोटे तरीके अपनाकर हम रिहायशी इलाकों में भी गौरैया को आकर्षित कर सकते हैं। इसके लिए घर के बाहर एक जगह रखें जहां मिट्टी और देशी घास हो। सुनिश्चित करें कि एक जगह हो जहां उनके लिए अनाज रखा जा सके और पानी के स्रोत उपलब्ध हों। हालाँकि, ऐसी जगह पर जानवरों या इंसानों का शोर नहीं होना चाहिए।

गौरैया को धूल भरे मैदानों की जरूरत होती है ताकि वे वहां अपने बच्चों को खाना खिला सकें। चूँकि अब धूल के मैदान लुप्त हो गए हैं और लोग बारीक दाने भी नहीं डालते, इसलिए शहरी क्षेत्रों में गौरैया दिखाई नहीं देतीं। इसके अलावा कीटनाशक भी उन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं.

यदि आपके आंगन में पौधे हैं तो उनके कीटों को जैविक तरीके से हटाएं ताकि हानिकारक रसायनों का असर गौरैया पर न हो। देशी घास लगाएं जिसके बीज गौरैया खा सकें। इसके अलावा विभिन्न अनाजों का मिश्रण बनाकर डालें क्योंकि गौरैया केवल बारीक अनाज ही खा सकती हैं।

घर के आसपास या कॉलोनी के बगीचे में कुछ पेड़ होने चाहिए ताकि वे उनमें बैठ सकें। फिलहाल घर में गौरैया के घोंसले की कोई व्यवस्था नहीं है इसलिए घर में एक पक्षीघर स्थापित करें जहां वे अपना घोंसला बना सकें और अपना जीवन चक्र आगे बढ़ा सकें। बबूल, शहतूत, गुड़हल, जामुन, अमरूद और मेंहदी जैसे पेड़ लगाकर उन्हें आकर्षित किया जा सकता है।

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