भोपाल / उज्जैन। प्रधान मंत्री मोदी ने गुरवार को उज्जैन में इस ख़ास वैदिक घडी का वर्चुअल रूप से वटन दबाकर लोकार्पण किया। यह दुनिया की पहली इस प्रकार की घडी होगी। इसके अलावा इसमें यह घडी कहने में तो वैदिक है पर इसमें सुईओं की जगह डिजिटल डिस्प्ले का उपयोग किया गया है। सोचने वाली बात ये है की इसमें एक घंटा 60 मिनट की वजाय 48 मिनट का होगा , इसके साथ ही इसमें इंडियन स्टैण्डर्ड टाइम के साथ साथ ग्रीनविच मीन टाइम भी देखने को मिलेगा।
विक्रमादित्य वैदिक घडी की खासियतें
दुनिया की सबसे पहली वैदिक घड़ी
पूरी दुनिया में अभी इस प्रकार की ये इकलौती घड़ी है , इसे लगभग 80 से 85 फ़ीट ऊपर टावर पर बनाया गया है। इसके साथ ही इसमें कई डिजिटल तकनीकों का भी इस्तेमाल किया गया है इसमें जीपीएस और इंटरनेट से भी जोड़ा गया है। यही नहीं इसके लिए एक डेडिकेटेड एप्प भी लॉच किया गया है।
जीपीएस और इंटरनेट कनेक्शन
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी पूरी तरह से इंटरनेट और जीपीएस इंटीग्रेटेड होगी , इसके साथ ही इसके एप्प से घड़ी के रियल टाइम को एक्सेस किया जा सकता है। इसकी खूबियों की बात करें तो ये घड़ी भारत के प्रमुख़ मंदिरो से भी कनेक्ट रहेगी। इसके टावर पर इसके टाइम को एक्यूरेट और अत्याधमिक रखने के लिए इसमें टेलिस्कोप भी लगाया गया है।
60 की वजाय 48 मिनट का एक घंटा , 24 की वजाय 30 घंटो का एक दिन
विक्रमदित्य वैदिक घडी में आम घड़ी के मुक़ाबले बहुत खूबियां है इसमें 60 मिनट के वजाय 48 मिनट का होगा एक घंटा और 24 घंटो के वजाय 30 घंटो का एक दिन होगा। यह घड़ी टेलेस्पोके और लेन्सेस की मदद से सूर्य और चाँद की के लोकेशन्स के हिसाब से समय को पता करेगा इसमें कई तरह के समय के साथ मुहूर्त, ग्रहण तिथि, शुभ मुहूर्त, पर्व, व्रत, ग्रह-भद्रा स्थिति, चौघड़या योग, तीज-त्यौहार, सूर्य ग्रहण , चंद्र ग्रहण जैसी अहम जानकारियां भी देखने को मिलेगी।
किसने और कैसे बनाया गया विक्रमादित्य वैदिक घडी को
इस घड़ी को आई आई टी ( IIT ) दिल्ली के छात्रों द्वारा बनाया गया है। इसके साथ ही इसके एप्प को आरोह श्रीवास्तव द्वारा बनाया गया। यह घडी समय , मुहूर्त , ग्रहण के अलावा मौसम की जानकारियाँ भी देने में सक्षम है।