LakshmiBai mela : रानी लक्ष्मीबाई के सम्मान में उनके स्मारक स्थल पर स्मृति मेले का आयोजन पिछले 23 वर्षों से लगातार किया जा रहा है। इस वर्ष भी कार्यक्रम भव्य तरीके से आयोजित किया जाएगा। मेले में वीरांगना पुरस्कार का वितरण भी शामिल है।
प्रदेश के संस्कृति विभाग ने दस वर्ष पूर्व विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाली साहसी महिलाओं के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए वीरांगना पुरस्कार की घोषणा की थी। उन्हें दो लाख रुपये की धनराशि के साथ सम्मान पत्र प्रदान किया जाता है।
महामारी के कारण शासन ने इस परंपरा को अस्थायी रूप से रोक दिया था। हालांकि आयोजन समिति का कहना है कि इस वर्ष वे पुरस्कार वितरण फिर से शुरू करेंगे। गौरतलब है कि आयोजन समिति 13 वर्षों से इस सम्मान की मेजबानी कर रही है। पांच वर्षों तक इसका संचालन स्वराज फाउंडेशन द्वारा किया जाता रहा। महामारी के कारण इस परंपरा पर अनौपचारिक रोक लग गई थी।
संस्कृति विभाग द्वारा इस वर्ष के वीरांगना पुरस्कार के विजेताओं के चयन की तैयारी अभी तक शुरू नहीं हो पाई है, जिससे एक बार फिर इस सम्मान को प्रदान करने में देरी की आशंका जताई जा रही है। संस्कृति विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने चयन प्रक्रिया में देरी का कारण चुनाव आचार संहिता बताया है। पिछले वर्षों के पुरस्कार एक साथ दिए जाएंगे।
दूसरी ओर आयोजन समिति का दावा है कि सरकार द्वारा सम्मान देने में विफल रहने के बावजूद वे अपने स्तर पर ऐसा करते रहेंगे। 24 वर्षों से अनवरत चल रहा यह आयोजन प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की मशाल वाहक रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान को याद करता है, जिन्होंने स्वर्ण रेखा नहर के पास अंग्रेजों से बहादुरी से मुकाबला किया था।
रानी लक्ष्मीबाई का अंतिम संस्कार गंगा दास स्कूल के प्रमुख बाबा गंगाधर दास ने अपनी कुटिया में किया था, ताकि अंग्रेज उनके पवित्र शरीर का अनादर न कर सकें। इसी स्मारक स्थल पर रानी लक्ष्मीबाई के सम्मान में एक स्मारक बना हुआ है। चौबीस वर्ष पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने वर्ष 2000 में स्मारक स्थल पर वीरांगना मेले की शुरुआत की थी।